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Adani @ Rath Yatra

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भगवान जगन्नाथ के चार पवित्र द्वार : जहां हर द्वार कहता है एक दिव्य कहानी

पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण अपने अनोखे रूप में विराजमान हैं, न केवल अपनी मूर्तियों की अलौकिकता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इस मंदिर के चार पवित्र द्वार भी उतने ही रहस्यमयी और महत्वपूर्ण हैं। हर द्वार एक प्रतीक है—जीवन के किसी ना किसी सत्य का, किसी आध्यात्मिक पथ का। ये केवल प्रवेश मार्ग नहीं, बल्कि भक्ति, धर्म, मोक्ष और विजय के रहस्यों की कुंजी हैं।

सिंह द्वार – मोक्ष का प्रवेश
मुख्य द्वार, जिसे सिंह द्वार कहा जाता है, पूर्व दिशा में स्थित है। मान्यता है कि यही वह मार्ग है जिससे भगवान के साक्षात दर्शन होते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है। सिंह अर्थात सिंह शौर्य और गरिमा का प्रतीक है, लेकिन यहाँ यह आत्मशुद्धि का प्रतीक है।

पौराणिक कथा के अनुसार, जब एक वृद्ध भक्त ने भगवान से प्रार्थना की कि वह जीवन भर उनकी सेवा करना चाहता है, तो भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और कहा—“तू सिंह द्वार से प्रवेश कर और मुझे एक बार ह्रदय से पुकार, मैं तुझे मुक्त कर दूँगा।” वह भक्त दरवाज़े पर पहुँचा, और जैसे ही उसने भीतर कदम रखा, उसका शरीर वहीं शांत हो गया—लेकिन मुख पर मुस्कान और आँखों से अश्रु थे। पुरी में आज भी कहा जाता है, "सिंह द्वार से जिसने पुकारा, जगन्नाथ ने उसे सँभाला।"

व्याघ्र द्वार – धर्म का प्रहरी
पश्चिम दिशा में स्थित व्याघ्र द्वार को धर्म का प्रतीक माना गया है। व्याघ्र यानी बाघ, जो धर्म और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है। यह द्वार उन लोगों के लिए है जो धर्म मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो।

कहा जाता है, एक बार एक दुष्ट राजा भगवान के दर्शन को इसी द्वार से आया। जैसे ही उसने द्वार पार किया, उसे अंधापन हो गया। उसने पश्चाताप किया और प्रार्थना की। भगवान ने दर्शन दिए और कहा—“धर्म के द्वार से अधर्म प्रवेश नहीं कर सकता।” तभी से यह द्वार उन लोगों के लिए प्रतीक बन गया जो धर्म की रक्षा और पालन करते हैं।

हस्ति द्वार – ऋषियों का पथ
उत्तर दिशा में स्थित हस्ति द्वार को ऋषियों के आगमन का द्वार कहा गया है। हाथी को शक्ति, विवेक और स्थिरता का प्रतीक माना गया है, जो एक तपस्वी के गुण हैं। इस द्वार से प्राचीन काल में महर्षि, योगी और ज्ञानीजन भगवान के दर्शन के लिए आया करते थे।

कहा जाता है कि एक बार महर्षि अगस्त्य ने यहीं से प्रवेश कर भगवान से पूछा, “हे नाथ, क्या आप शरीर में सीमित हैं?” तब भगवान ने उत्तर दिया, “मैं भक्त के भाव में सीमित हूँ, द्वार कोई भी हो।” यह द्वार ध्यान, ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार का प्रवेश द्वार है।

अश्व द्वार – विजय और संघर्ष का द्वार
दक्षिण दिशा में स्थित अश्व द्वार यानी घोड़े का द्वार, विजय का प्रतीक है। यह द्वार उन योद्धाओं और कर्मयोगियों के लिए है जो जीवन की लड़ाइयाँ लड़ते हैं, लेकिन भगवान में विश्वास रखते हैं।

एक कथा प्रसिद्ध है कि महाभारत के समय अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से यहीं विजय का आशीर्वाद लिया था। यहीं से प्रवेश करने वाले भक्त जीवन में सफलता, ऊर्जा और शक्ति का अनुभव करते हैं। भगवान जगन्नाथ के ये चार द्वार जीवन के चार आयामों के प्रतीक हैं—मोक्ष, धर्म, ज्ञान और विजय। श्रद्धालु आज भी इन द्वारों को केवल स्थापत्य नहीं, बल्कि ईश्वर के साथ आत्मिक जुड़ाव का माध्यम मानते हैं। हर द्वार से जुड़ी कथाएँ लोगों को प्रेरणा देती हैं कि चाहे वह साधक हो, ज्ञानी हो, भक्त हो या योद्धा—हर किसी के लिए प्रभु के द्वार खुले हैं। यहाँ हर द्वार पर कदम रखते ही एक नई कहानी शुरू होती है और उसका अंत होता है प्रभु की शरण में।

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