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Adani @ Rath Yatra

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भगवान जगन्नाथ मंदिर की आरती : एक दिव्य अनुभव और आस्था का प्रतीक

पुरी में जगन्नाथ मंदिर न केवल भारत, बल्कि संपूर्ण विश्व के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। यहाँ भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की आराधना होती है। मंदिर की विशेषता इसकी दिव्य आरती परंपरा है, जो दिन में तीन बार होती है — मंगला आरती (सुबह), मध्याह्न धूप (दोपहर) और संध्या आरती (शाम)। यह आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह जीवन की ऊर्जा, भक्त की श्रद्धा और ईश्वर से संवाद का माध्यम भी है।

मंगला आरती : प्रभु का प्रात कालीन स्वागत
सुबह की पहली आरती ‘मंगला आरती’ कहलाती है। यह ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है, जब प्रभु को नींद से जगाया जाता है। यह एक अत्यंत पवित्र क्षण होता है जब मंदिर में शंख, घंटियों और वैदिक मंत्रों की ध्वनि गूंजती है। इस समय दीपों की रोशनी में भगवान के मुखमंडल की झलक अद्वितीय होती है। भक्त मानते हैं कि मंगला आरती देखने मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और दिनभर के लिए शुभ ऊर्जा मिलती है।

मध्याह्न धूप : दोपहर की भोग आरती
दोपहर की आरती ‘मध्याह्न धूप’ कहलाती है। यह आरती भोजन के पहले की जाती है, जिसमें भगवान को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। इस समय भगवान को विशेष सुगंधित धूप, दीप और नैवेद्य समर्पित किए जाते हैं। यह आरती दर्शाती है कि ईश्वर हमारे परिवार के सदस्य जैसे हैं, जिन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराना हमारा कर्तव्य है। यह पूजा ‘सामान्य जीवन में भी ईश्वर की उपस्थिति’ का प्रतीक मानी जाती है।

संध्या आरती : दिन के अंत में दिव्य दर्शन
शाम को की जाने वाली ‘संध्या आरती’ दिन का सबसे भव्य और भावपूर्ण क्षण होता है। सूरज ढलने के बाद जब मंदिर में दीप प्रज्वलित होते हैं और आरती की लौ भगवान के मुख पर पड़ती है, तब एक अद्वितीय दिव्यता का अनुभव होता है। यह आरती संसार के अंधकार में प्रकाश का प्रतीक मानी जाती है। भक्तों की भीड़, भजन, मंत्रोच्चार और आरती की थाली की घंटियाँ वातावरण को भक्तिमय कर देती हैं।

आरती का महत्व : अध्यात्म और अनुशासन का संगम
श्री जगन्नाथ मंदिर की आरती केवल पूजा विधि नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक अनुभव है। यह हमें अनुशासन, समय की महत्ता और भगवान के प्रति कृतज्ञता सिखाती है। तीनों आरतियों का गहरा सांकेतिक महत्व है — सुबह का जागरण, दोपहर का सेवा भाव और शाम की समर्पण भावना। इसके अलावा, यह आरती परंपरा सदियों पुरानी है और मंदिर की नित्यचर्या का अभिन्न हिस्सा है। आरती के माध्यम से भक्त अपने भावों को व्यक्त करते भगवान जगन्नाथ मंदिर की आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, आस्था और अध्यात्म का दर्पण है। जो एक बार इस दिव्य आरती का साक्षात्कार करता है, उसके मन में जीवनभर के लिए एक अलौकिक शांति और श्रद्धा का संचार हो जाता है। यही कारण है कि यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी अक्षुण्ण बनी हुई है एक जीवंत परंपरा जो भगवान और भक्त को जोड़ती है।

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