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Adani @ Rath Yatra

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आस्था की अनूठी यात्राः अहमदाबाद में निकली 148वीं भव्य जगन्नाथ रथयात्रा

सूरज की पहली किरण के साथ ही ऐतिहासिक शहर अहमदाबाद की सड़कों पर भक्ति की लहर दौड़ गई। अवसर था भगवान जगन्नाथ की 148वीं रथ यात्रा का, जो शहर के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध रथ उत्सवों में से एक है। अहमदाबाद सुबह-सुबह न केवल भजनों और शंखनाद के साथ बल्कि आस्था और भक्ति की एक पवित्र भावना के साथ जाग उठा। सुबह 6 बजे तक, लाखों भक्त 18 किलोमीटर लंबे यात्रा मार्ग पर कतार में खड़े नजर आए। यह यात्रा जमालपुर के 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से लेकर कालूपुर, सरसपुर और दरियापुर जैसे व्यस्त इलाकों से होते हुए शाम को वापस लौटती है।

भक्ति और आस्था का अनूठा संगम
रथ यात्रा का स्वरूप भक्तों को भावविभार करने वाला होता है - भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को ले जाने वाले भव्य रूप से सजाए गए तीन लकड़ी के रथ भक्तों को अपनी तरफ खींचते हैं। गेंदे के फूलों की मालाओं और पारंपरिक रूपांकनों से सजे रथों को स्वयंसेवकों ने मोटी, पवित्र रस्सियों से खींचा - ऐसा माना जाता है कि यह अनुष्ठान आध्यात्मिक पुण्य प्रदान करता है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने 'पहिंद विधि' का पालन किया, जिसमें एक सुनहरी झाड़ू से रथ पथ की औपचारिक सफाई की जाती है - जो ईश्वर के समक्ष समर्पण का एक प्रतीकात्मक कार्य है। यह अनुष्ठान पुरी में गजपति राजा द्वारा किए जाने वाले सदियों पुराने रिवाज को दर्शाता है और यात्रा की आधिकारिक शुरुआत का प्रतीक है।

अगाध भक्ति का सैलाब
रथ यात्रा की मोहक छटा देखते ही बनती है। भगवा और सफेद रंग के समुद्र में हर आयु के भक्त रथों के साथ-साथ चलते हुए “जय जगन्नाथ!” का नारा लगाते हैं। साथ ही पारंपरिक ढोल और भजनों की थाप पर नाच जारी रहता है। इस मौके पर झांझ की लयबद्ध झंकार, धूप की मादक सुगंध और एकता की भावना जाति, पंथ और वर्ग को पीछे छोड़ देती है। सरसपुर में, जहाँ देवता पारंपरिक रूप से अपनी मौसी के घर भोजन के लिए रुकते हैं, उत्सव अपने चरम पर पहुँचता है। वहां के रहने वालों ने मिठाई और पारंपरिक गुजराती व्यंजनों के प्रसाद के साथ मेहमानों का स्वागत किया। प्रतीकात्मक “महाभोज” यात्रा के सबसे प्रिय पहलुओं में से एक है।

तकनीक और भक्ति का मिलन
इस साल की रथ यात्रा में तकनीक आस्था का संगम देखने को मिला। मार्ग पर तैनात रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) इकाइयों सहित 25,000 से अधिक पुलिस कर्मियों ने सुरक्षा सुनिश्चित की। ड्रोन का उपयोग करके हवाई निगरानी, एआई-संचालित चेहरे की पहचान करने वाले कैमरे और एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष से लाइव निगरानी ने चौबीसों घंटे सुरक्षा निगरानी प्रदान की। भक्तों को जुलूस की वास्तविक समय की लोकेशन ट्रैकिंग, ट्रैफ़िक अपडेट और आपातकालीन सेवाओं के लिए रथ यात्रा ऐप का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए नियमित अंतराल पर मेडिकल बूथ, वाटर स्टेशन और मोबाइल शौचालय लगाए गए थे।

यात्रा के सामाजिक आयाम
अहमदाबाद रथ यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा से कहीं अधिक है - यह गुजरात के सांप्रदायिक सद्भाव, सांस्कृतिक जीवंतता का प्रदर्शन है। सामाजिक, पौराणिक और समकालीन विषयों का प्रतिनिधित्व करने वाली 100 से अधिक सजी हुई झांकियाँ जुलूस में शामिल हुईं। नृत्य मंडलियों, आदिवासी संगीतकारों और अखाड़ों (जिम) ने भारत की विविध आध्यात्मिक विरासत का प्रदर्शन किया।

अदाणी फाउंडेशन, इस्कॉन, स्वामीनारायण संप्रदायों और कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के स्वयंसेवकों ने भीड़ प्रबंधन, स्वच्छता प्रयासों और मुफ्त भोजन वितरण में हाथ बंटाया - जो शहर में बसी "सेवा" की भावना का एक जीवंत प्रमाण है।

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