Adani @ Rath Yatra
जगन्नाथ मंदिर : जहाँ धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का ह्रदय
पूर्वी भारत के ओडिशा राज्य में स्थित पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि
करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, भक्ति और विश्वास का जीवंत प्रतीक है। इसे वैष्णव संप्रदाय के चार पवित्र
धामों में एक माना जाता है, बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और पुरी, लेकिन पुरी का यह धाम कुछ अलग है,
क्योंकि मान्यता है कि यहाँ आज भी भगवान श्रीकृष्ण का हृदय धड़कता है।
मंदिर की उत्पत्ति : एक चमत्कारी कथा
जगन्नाथ मंदिर की कहानी अत्यंत रोचक और रहस्यमयी है। कहा जाता है कि द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण के शरीर
के जल समाधि लेने के बाद, उनका हृदय एक दिव्य ऊर्जा के रूप में बच गया था। इस दिव्य ऊर्जा को 'नीलमणि' कहा
गया। पुराणों के अनुसार, राजा इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यह आदेश मिला कि वह नीलमाधव के रूप में भगवान
विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। उन्होंने उड़ीसा के समुद्र तट पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया और एक
रहस्यमयी काष्ठ (लकड़ी) से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ बनाईं।
लेकिन यह मूर्तियाँ साधारण नहीं हैं। इन्हें बनाने वाले कारीगर स्वयं भगवान विश्वकर्मा थे, जो एक शर्त पर
मूर्तियाँ बना रहे थे जब तक कार्य पूर्ण न हो, कोई उन्हें न देखे। परंतु रानी की उत्सुकता से द्वार खोल
दिया गया और कारीगर अंतर्ध्यान हो गए। अधूरी मूर्तियाँ ही आज मंदिर में पूजित होती हैं, जो बताती हैं कि
ईश्वर को रूप की नहीं, भाव की ज़रूरत है।
भगवान जगन्नाथ : भक्तों के लिए साक्षात ईश्वर
भगवान जगन्नाथ की विशाल काली आंखें, बिना हाथ-पैर की आकृति और स्नेहभरे मुखमंडल से ऐसा प्रतीत होता है
मानो वे हर भक्त को निहार रहे हों। कहा जाता है कि इस रूप में वे संसार के हर वर्ग को अपनाते
हैं—धनी-निर्धन, जात-पात से परे। उनके दर्शन मात्र से पाप धुल जाते हैं और मन को शांति प्राप्त होती
है।
विज्ञान और अध्यात्म का संगम है मंदिर
यह मंदिर समुद्र तट पर होने के बावजूद मंदिर के शिखर पर लहराता ध्वज सदैव विपरीत दिशा में लहराता है।
मंदिर की छाया कभी धरती पर नहीं पड़ती। रथयात्रा के समय भगवान को विशाल रथ पर विराजमान कर नगर भ्रमण कराया
जाता है, जिसे खींचने के लिए लाखों भक्त उमड़ पड़ते हैं। यह आयोजन भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में
से एक है।
आस्था का केंद्र, अध्यात्म की भूमि
श्री जगन्नाथ मंदिर केवल एक इमारत नहीं, बल्कि यह स्थान प्रेम, समर्पण और दिव्यता की अनुभूति है। यहाँ का
वातावरण भक्तों के जयकारों, शंखनाद और आरती के स्वर से गूंजता रहता है। कहा जाता है, जो व्यक्ति जीवन में
एक बार भी यहाँ दर्शन कर लेता है, उसका जन्म सफल हो जाता है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर केवल धर्म नहीं, एक
अनुभव है – जहाँ पत्थर में परमात्मा का स्पंदन महसूस होता है, जहाँ अधूरी मूर्तियाँ भी पूर्ण लगती हैं, और
जहाँ हर श्रद्धालु को यह यकीन हो जाता है कि हाँ, यहाँ श्रीकृष्ण का ह्रदय सचमुच धड़कता है।