
Adani @ Rath Yatra
जानिए क्या है जगन्नाथ मंदिर के उल्टे ध्वज का रहस्य
पुरी का श्रीजगन्नाथ मंदिर अपने स्थापत्य, आस्था और परंपरा के लिए विश्वविख्यात है।
लेकिन इन सबके बीच एक रहस्य ऐसा भी है, जो आज तक विज्ञान की सीमाओं से परे बना हुआ है
मंदिर के शिखर पर लहराता ‘उल्टा ध्वज’। हर दिन, सूर्यास्त से पहले, मंदिर के शीर्ष पर
एक विशाल ध्वज चढ़ाया जाता है। यह ध्वज सामान्य ध्वजों की तरह हवा के प्रवाह की दिशा
में नहीं, उसके विपरीत लहराता है। यानी हवा एक दिशा में बह रही हो, तब भी ध्वज विपरीत
दिशा में फहराता दिखता है। यह दृश्य न केवल चौंकाता है, बल्कि हर श्रद्धालु को एक
रहस्यमयी आध्यात्मिक एहसास से भर देता है।
क्या यह है हवा का चमत्कार है या फिर कोई गहरा संदेश
छिपा है?
ध्वज का उल्टा लहराना, मान्यता अनुसार, जगन्नाथ जी की इच्छा का प्रतीक है। यह बताता है
कि जहाँ संसार का विज्ञान थमता है, वहाँ आस्था की शक्ति काम करती है। भक्त इसे इस रूप
में देखते हैं कि प्रभु की इच्छा के आगे प्रकृति भी झुकती है।
एक और मान्यता कहती है कि उल्टा ध्वज ब्रह्मांडीय संतुलन का प्रतीक है। यह बताता है कि
जीवन में सब कुछ हमारे सोच के अनुसार नहीं चलता कभी-कभी उल्टी दिशा ही सही दिशा होती
है, बशर्ते उसमें विश्वास और समर्पण हो। मंदिर प्रशासन और सेवायत परिवारों द्वारा हर
दिन जो सेवक 45 मंज़िला ऊँचाई तक बिना किसी सहारे के चढ़कर ध्वज बदलता है, उसे गरुड़
सवेइता कहा जाता है। माना जाता है कि अगर किसी दिन यह ध्वज नहीं बदला गया, तो मंदिर एक
दिन के लिए बंद हो जाएगा पर ऐसा कभी नहीं हुआ, न बारिश में, न तूफान में। ध्वज के उल्टा
लहराने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और यह न केवल एक चमत्कार, बल्कि एक संकेत
है कि जगन्नाथ के संसार में कुछ भी असंभव नहीं। यह उल्टा ध्वज सिखाता है कि जब नियति उल्टी
चले, तो घबराइए मत कभी-कभी ‘उल्टा’ भी ईश्वर का सीधा रास्ता होता है।