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Adani @ Rath Yatra

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अदाणी- इस्कॉन किचन से 23 लाख को मिला प्रसाद, रसोई 24 घंटे चालू

पुरी की रथयात्रा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था, करुणा और सेवा का एक जीवंत उदाहरण है। वर्ष 2025 की रथयात्रा में इस भाव को अद्वितीय रूप में साकार किया गया, जब 23 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को नि:शुल्क प्रसाद परोसा गया। यह केवल भोजन का वितरण नहीं था, बल्कि अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के मूलमंत्र ‘सेवा ही साधना है’ की भावना को चरितार्थ करता हुआ एक ऐसा आयोजन बना, जिसने भक्ति और मानवता दोनों के स्तर पर नई ऊंचाइयों को छुआ।

इस विशाल आयोजन के पीछे जो व्यवस्था है, वह उतनी ही प्रेरणादायक है जितनी कि यह सेवा। करीब 1000 रसोइये, सहायकों, प्रबंधकों और सफाईकर्मियों की एक समर्पित टीम, दिन- रात एक करके इस रसोई को चला रही है। यह 24 घंटे सक्रिय रसोई ना केवल भक्ति से प्रेरित है, बल्कि प्रबंधन और अनुशासन का भी उत्कृष्ट उदाहरण है। इन कार्यकर्ताओं के लिए यह सिर्फ एक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक तप है, जिसमें हर थाली में भक्ति परोसी जा रही है।

भंडारे में परोसे जाने वाले प्रसाद में चावल, रोटियां, मिक्स वेज सब्ज़ी, दाल पायसम, गुलाब जामुन और हलवा और दही चावल शामिल है। यह संयोजन न सिर्फ स्वाद और पोषण का संतुलन प्रस्तुत करता है, बल्कि गर्मी और भीड़ में थके हुए श्रद्धालुओं को ऊर्जा और संतोष प्रदान करता है। यह भोजन भक्तों को न केवल शारीरिक तृप्ति दे रहा है, बल्कि आत्मिक संतोष भी दे रहा है।

पुरी के कई प्रमुख स्थानों में जैसे, तालाबनिया बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, गुंडिचा मंदिर के पास, स्वर्गद्वार चौक, बगला धर्मशाला, दिगबरनी पार्किंग और दूधवाला धर्मशाला पर यह सेवा जारी है। सुबह होते ही इन स्थानों पर भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं, लेकिन व्यवस्था इतनी सहज और अनुशासित है कि प्रतीक्षा भी एक भक्ति का अनुभव बन जाती है। स्वयंसेवक मुस्कान और विनम्रता के साथ हर व्यक्ति को प्रसाद परोसते हैं, और यह भाव ही इस आयोजन को दिव्यता प्रदान करता है।

भोजन सेवा के अलावा, श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह जूस, ठंडे पानी और विश्राम की व्यवस्था भी की गई है। इस भीषण गर्मी में यह सुविधा कई लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। सेवा के इस महायज्ञ में कोई भेदभाव नहीं—हर व्यक्ति, चाहे देशी हो या विदेशी, अमीर हो या साधारण, एक ही पंक्ति में बैठकर वही प्रसाद ग्रहण कर रहा है।

इस पूरे आयोजन में सेवा देने वाले स्वयंसेवकों की भूमिका सबसे विशेष है। वे किसी कैमरे या प्रशंसा के लिए नहीं, बल्कि अपनी आत्मा की शांति के लिए सेवा कर रहे हैं। कोई रोटियां सेंक रहा है, कोई बर्तन धो रहा है, कोई पानी बाँट रहा है। हर व्यक्ति अपने हिस्से की साधना में लीन है। उनका भाव यही है कि जब तक एक भी श्रद्धालु भूखा है, सेवा अधूरी है।

रथयात्रा 2025 का यह आयोजन इस बात का उदाहरण बन गया है कि आधुनिक प्रबंधन और पारंपरिक श्रद्धा मिलकर कैसे एक ऐसी व्यवस्था खड़ी कर सकते हैं, जो दुनिया के किसी भी कोने में मिसाल बन सकती है। इसमें शामिल संगठनों जैसे अदाणी समूह और इस्कॉन ने यह दिखाया है कि जब संसाधन और संकल्प साथ आएं, तो सेवा भी एक त्योहार बन सकती है।

यह आयोजन केवल भोजन का नहीं, बल्कि संस्कारों का, श्रद्धा का और भारत की सेवा परंपरा का उत्सव है। पुरी की इस रथयात्रा ने यह सिद्ध कर दिया है कि सेवा जब भक्ति बन जाए, तो वह सबसे बड़ा धर्म बन जाती है।

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