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Adani @ Rath Yatra

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अदाणी-इस्कॉन रसोई: प्रसाद शुद्ध देसी घी और पारंपरिक मसालों होते हैं तैयार

पुरी की रथयात्रा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए आस्था, सेवा और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है। हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों के दर्शन के लिए पुरी पहुंचते हैं। अदाणी समूह और इस्कॉन की साझेदारी में संचालित महाप्रसाद रसोई सेवा। यह सेवा, न सिर्फ भक्तों की भूख मिटा रही है, बल्कि सेवा के उच्चतम आदर्शों को भी स्थापित कर रही है। रथयात्रा के दौरान इस रसोई से लाखों श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की पारंपरिक 56 भोग थाली में से रोज़ाना, अलग-अलग 25 प्रकार के भोग बनाए जा रहे हैं। ये सभी व्यंजन शुद्ध देसी घी, पारंपरिक मसालों और सात्विक विधियों से तैयार होते हैं।

इस दिव्य रसोई के संचालन में 500 से अधिक स्वयंसेवक दिन-रात लगे हुए हैं। इनमें से लगभग 50% स्वयंसेवक लोकल हैं, जबकि बाकी देश के विभिन्न हिस्सों से सेवा भावना से प्रेरित होकर आए हैं। यह टीम दो शिफ्टों में कार्य करती है—सुबह की शिफ्ट में लगभग 350 लोग, जबकि बाकी शाम की पाली में जिम्मेदारी संभालते हैं। हर स्वयंसेवक का कार्य निर्धारित है। किसी का काम सब्ज़ी काटना है, तो कोई रोटियाँ सेंक रहा है, कोई भोग को पैक कर रहा है तो कोई उसे वितरण केंद्रों तक पहुँचा रहा है।

यह रसोई सिर्फ एक खाना पकाने की जगह नहीं, बल्कि एक जीवंत सेवा केंद्र बन चुकी है। यहाँ हर व्यक्ति सेवा को ही धर्म मानकर काम कर रहा है। स्वयंसेवकों के रहने की व्यवस्था रसोई स्थल के पास ही की गई है, और भोजन की व्यवस्था उसी रसोई से होती है जहाँ वे सेवा दे रहे हैं। वे न सिर्फ खाना बना रहे हैं, बल्कि एक ऐसी परंपरा को जीवित रख रहे हैं जो भगवान के लिए अर्पण से शुरू होकर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचती है।

प्रसाद में मुख्य रूप से खिचड़ी, दालमा, घी-चावल, सब्ज़ियाँ, पूरी, बड़ा, पायसम (खीर), और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ शामिल होती हैं। इन सभी व्यंजनों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वे पारंपरिक विधियों के साथ साथ आयुर्वेदिक दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखें। न तो प्याज-लहसुन का उपयोग होता है, न ही किसी पैक्ड मसाले का।

इस पूरे अभियान को अदाणी समूह का मजबूत लॉजिस्टिक सपोर्ट और इस्कॉन की आध्यात्मिक ऊर्जा चला रही है। रोजाना ताज़ा अन्न, दाल और सब्ज़ियाँ स्थानीय मंडियों से खरीदी जाती हैं, और उनके भंडारण व उपयोग के लिए विशेष व्यवस्थाएं बनाई गई हैं।

यह सेवा सिर्फ भोजन देने तक सीमित नहीं है, यह उन लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव बन गई है जो पुरी में भगवान के दर्शन के साथ-साथ इस भोग को प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं। रथयात्रा में शामिल हर भक्त जब इस प्रसाद को पाता है, तो केवल पेट ही नहीं, मन और आत्मा दोनों तृप्त हो जाते हैं।

अदाणी और इस्कॉन की यह साझेदारी एक मिसाल है कि कैसे आध्यात्म और आधुनिकता, श्रद्धा और सेवा, मिलकर समाज को कुछ विशेष दे सकते हैं। यह सिर्फ एक रसोई नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों को छूने वाली सेवा यात्रा है, जहाँ हर निवाला प्रभु का आशीर्वाद बनकर भक्तों तक पहुँचता है।

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