
Adani @ Rath Yatra
भगवान जगन्नाथ - हर नाम एक कथा, हर कथा एक दर्शन
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में विराजमान भगवान केवल एक देवता नहीं, बल्कि संस्कृति, समरसता
और आस्था के चलते-फिरते प्रतीक हैं। 'जग का नाथ' — ये तो उनका सबसे जाना-पहचाना नाम है।
लेकिन क्या आप जानते हैं, भगवान जगन्नाथ के कई नाम हैं, और हर नाम के पीछे छिपी है एक
चौंकाने वाली, गहराई से भरी पौराणिक कहानी।
जगन्नाथ – जग का स्वामी, सबका रक्षक
यह नाम उनके सार्वभौमिक स्वरूप का परिचायक है। ‘जग’ यानी संसार और ‘नाथ’ यानी स्वामी।
स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने स्वयं इस रूप को धारण किया ताकि
वे पूरे विश्व का संचालन और उद्धार कर सकें।
नीलमाधव – जंगलों में छिपा दिव्य रहस्य
इस नाम के पीछे है एक रहस्यमयी कथा। आदिवासी राजा विष्वासु, ओडिशा के घने जंगलों में एक
नीले पत्थर के रूप में भगवान को पूजते थे। यही नीलमाधव आगे चलकर राजा इन्द्रद्युम्न को
दिखाई दिए और पुरी में जगन्नाथ के रूप में प्रतिष्ठित हुए। यह नाम दर्शाता है – ईश्वर
किसी मंदिर में नहीं, बल्कि भक्त की भावना में बसते हैं।
दर्शनार्थी – जो भक्तों को निहारते हैं
पुरी मंदिर में भगवान की बड़ी-बड़ी आँखें होती हैं, जिनमें पलकें नहीं हैं। मान्यता है
कि वे लगातार अपने भक्तों को निहारते रहते हैं। इसलिए भक्त उन्हें 'दर्शनार्थी' कहते
हैं – जो खुद दर्शन करते हैं, सिर्फ करवाते नहीं।
चक्रधर – धर्म के रक्षक
भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जगन्नाथ सुदर्शन चक्र धारण करते हैं। यह नाम दर्शाता
है कि जब-जब अधर्म बढ़ेगा, चक्रधर प्रकट होकर व्यवस्था को संतुलित करेंगे। उनका चक्र
केवल शस्त्र नहीं, चेतना है।
पटितपावन – जिनके द्वार सबके लिए खुले
पुरी मंदिर में गैर-हिंदुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं, लेकिन ‘पटितपावन
द्वार’ से हर कोई भगवान के दर्शन कर सकता है। ये नाम बताता है – जाति, धर्म, लिंग से
परे भगवान सबके हैं। वे पतित को भी पावन बना देते हैं।
त्रिदेव – प्रेम, शक्ति और करुणा का संगम
जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। यह त्रयी दर्शाती है – एक
संतुलित जीवन के तीन स्तंभ: प्रेम (जगन्नाथ), शक्ति (बलभद्र), और करुणा (सुभद्रा) और
तीनों मिलकर बनते हैं सम्पूर्ण ईश्वर।
भगवान जगन्नाथ कोई एक नाम या रूप नहीं, बल्कि एक बहुरंगी दर्शन हैं। वे मंदिर की मूर्ति
से बाहर निकलकर रथ पर सवार होते हैं, भक्तों के बीच आते हैं, यही उनका असली चमत्कार है।
उनके हर नाम में एक दर्शन है, हर दर्शन में एक समाजशास्त्र। वे केवल भगवान नहीं हैं ,
वे चलती-फिरती समरसता हैं।